क्या आप जानते हैं, पेट में इन्फेक्शन क्या है और यह कैसे होता है? पेट में इंफेक्शन होना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन इसे अनदेखा करना आपको बहुत बड़ी समस्या में डाल सकता है। पेट के इंफेक्शन को गैस्ट्रोएन्टराइटिस या पेट का फ्लू के नाम से भी जानते हैं। हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम(पाचन तंत्र) में वायरस के कारण ये बीमारी होती है। दस्त और उल्टी इससे होने वाले गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों में से हैं। हालाँकि इसकी अवधि कम होती है, लेकिन यह तेजी से फैल सकता है।
वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस इसके लिए चिकित्सा शब्द है। "एंटर" का अर्थ है-छोटी आंत, जबकि "गैस्ट्रो" का अर्थ है- पेट। "आइटिस" का अर्थ है- सूजन, जो आमतौर पर किसी संक्रमण के कारण होता है। इसके अलावा, "वायरल" शब्द संक्रमण के वायरल एटियलजि को दर्शाता है।
वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस, जिसे अक्सर पेट फ्लू के रूप में भी जाना जाता है, जिसके होने का सबसे आम तरीका है: दूषित भोजन का सेवन करना या दूषित पानी पीना, या फिर किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना। यदि आपका स्वास्थ्य ठीक है, तो आपको इस परेशानी से जल्दी ही आराम मिल जायेगा। हालाँकि, नवजात शिशुओं, बुजुर्ग व्यक्तियों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में यह बीमारी घातक हो सकती है।
अधिकांश मामलों में इस बीमारी से ठीक होने में एक सप्ताह से भी कम समय लगता है, और अधिकांश मरीज बिना किसी दवा या इलाज के भी ठीक हो जाते हैं। वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस के परिणामस्वरूप कभी-कभी गंभीर लक्षण या यहां तक कि डिहाइड्रेशन भी हो सकता है।
पेट फ्लू की 4 स्टेजेस होते हैं:-
यह पता लगाने के लिए कि क्या आपको गैस्ट्रोएंटेराइटिस है, आपका डॉक्टर निम्न कार्य कर सकते हैं:
हालाँकि बहुत से लोग इसे पेट फ्लू कहते हैं लेकिन यह बीमारी इन्फ्लूएंजा के जैसी नहीं है। इन्फ्लूएंजा से केवल रेस्पिरेटरी सिस्टम- जैसे कि नाक, गला और फेफड़े प्रभावित होते हैं। इसके विपरीत, गैस्ट्रोएंटेराइटिस से व्यक्ति की आंतों पर असर पड़ता है और इसके निम्नलिखित लक्षण होते हैं:
ज्यादातर मामलों में, गैस्ट्रोएंटेराइटिस से कोई खतरा नहीं होता है। हालाँकि, कभी-कभी इसके गंभीर लक्षण हो सकते हैं या डिहाइड्रेशन हो सकता है। कुछ व्यक्ति दूसरों की तुलना में इन लक्षणों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। ऐसे व्यक्ति हैं:
छोटे बच्चों और शिशुओं में निम्नलिखित लक्षण सामने आते हैं:
वयस्कों के लिए, निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
समान लक्षणों के कारण, जिआर्डियासिस जैसे पैरासिटिक दस्त और क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल, साल्मोनेला और एस्चेरिचिया कोली जैसे बैक्टीरिया के कारण होने वाले दस्त को अक्सर वायरल डायरिया समझ लिया जाता है।
गैस्ट्रोएंटेराइटिस के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं:
गैस्ट्रोएंटेराइटिस की समस्या विभिन्न प्रकार के वायरस के कारण होती है जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मार्ग को संक्रमित करते हैं।
उनमें से निम्नलिखित सबसे आम हैं:
नोटोवायरस: वयस्कों में पेट फ्लू का सबसे आम कारण है। लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 12 से 48 घंटे बाद शुरू होते हैं और 1 से 3 दिनों तक रहते हैं।
रोटावायरस: पूरे विश्व में बच्चों में पेट फ्लू होने का सबसे आम कारण रोटावायरस है। अधिकांश वयस्क इसके लिए इम्म्यून(प्रतिरक्षित) होते हैं क्योंकि उनको तीन वर्ष की आयु से पहले ही इसकी वैक्सीन प्राप्त हो जाती है। लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के लगभग 2 दिन बाद शुरू होते हैं और 3 से 8 दिनों तक रहते हैं।
एस्ट्रोवायरस: एस्ट्रोवायरस मुख्य रूप से तीन साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। वे अक्सर हॉस्पिटल में चाइल्ड-केयर सुविधाओं के माध्यम से फैलते हैं। हालाँकि, एल्डर-केयर सुविधाएं भी इसके फैलने का माध्यम हो सकती हैं। लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 4 से 5 दिन बाद शुरू होते हैं और 1 से 4 दिनों तक रहते हैं।
एडेनोवायरस: हालाँकि अगर अनजाने में आप इनके संपर्क में आए हैं तो ये गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं, लेकिन एडेनोवायरस आमतौर पर श्वसन रोगों से जुड़े होते हैं। सभी उम्र के लोग इनसे पीड़ित हो सकते हैं। लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 3 से 10 दिन बाद शुरू होते हैं और 1 से 2 सप्ताह तक रहते हैं।
यदि आपको वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस है, तो आपके मल और उल्टी में वायरस मौजूद होंगे। यदि आप बाथरूम का उपयोग करने के बाद अपने हाथ अच्छी तरह से नहीं धोते हैं और निम्न कार्य करते हैं तो आपसे अन्य व्यक्तियों में यह बीमारी फ़ैल सकती है :
हालाँकि पेट का फ्लू किसी भी व्यक्ति के लिए अच्छा अनुभव नहीं होता है, लेकिन अधिकांश लोग बिना किसी जटिलताओं के पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। इसके निम्नलिखत उपाय इस प्रकार से है:-
1. खूब सारे तरल पदार्थ पिएं
2. दवाई: पेट के फ्लू को दवाओं से ठीक नहीं किया जा सकता है और वायरस से सम्बंधित बीमारी में तो एंटीबायोटिक्स भी मदद नहीं करती है। लेकिन फिर भी कुछ लक्षणों के इलाज के लिए ओवर-द-काउंटर दवा ली जा सकती है। आप डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
3. अपना आहार में बदलाव करें: पेट फ्लू होने पर भोजन का सेवन मुश्किल हो सकता है। इसीलिए अपने आप को खाने के लिए मजबूर न करें। जब मन हो तब ही खाएं।
4. प्रोबायोटिक्स: ज्यादातर, वायरस या खराब बैक्टीरिया पेट फ्लू का कारण बनते हैं। प्रोबायोटिक्स का सेवन दोनों से राहत पाने के लिए बहुत अच्छा होता है।
5. भरपूर आराम करें: पेट के फ्लू से जब भी कोई व्यक्ति संक्रमित होता है, तो संक्रमण से लड़ने के लिए आपके शरीर को आराम की आवश्यकता होती है। इसीलिए ये आवश्यक है कि भरपूर नींद लें और दिन के दौरान की जाने वाली गतिविधियों को कम करें।
6. कूल कंप्रेस: बर्फ की ठंडी सिकाई से मतली या दस्त से तो राहत नहीं मिलेगी, लेकिन अगर हल्का बुखार है और थकावट होती है, तो ठंडी सिकाई से उसे बहुत बेहतर महसूस होगा।
जैसे-जैसे बच्चे या व्यस्क में लक्षण कम होने लगें तो निम्नलिखित तरीको को अपना सकते हैं-:
यदि आप पेट के फ्लू से पीड़ित हैं, तो संभवतः आपको ज्यादा खाने या पीने का मन नहीं करेगा। लेकिन फिर भी यदि आप जानना चाहते हैं कि आपको अपने आहार में क्या शामिल करना चाहिए और किससे बचना चाहिए तो निम्नलिखित को ध्यान में रखें:-
पेट में इंफेक्शन होने पर निम्नलिखित चीजों का सेवन कर सकते हैं:-
हमारे प्राचीन ग्रंथों में बहुत सी जड़ी-बूटियों के औषधीय और उपचार करने वाले गुणों के बारे में उल्लेख किया गया है जिनका उपयोग पारंपरिक रूप से पेट के फ्लू या गैस्ट्रोएंटेराइटिस के प्राकृतिक उपचार में किया जाता है। जैसे कि:
1. गिलोय: गिलोय एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर है जो फ्री-रेडिकल्स से लड़ता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह पाचन तंत्र को शांत करने में मदद करता है।
2. हरीतकी: इस फल को चबाने से पाचन शक्ति बढ़ती है और अगर इसका पेस्ट बना लिया जाए तो यह आंतों को साफ करने में मदद करता है।
3. विडंग: यह आंतों से सभी प्रकार के जीवाणु संक्रमण को दूर करता है।
4. मुलेठी: यह आंतों की सूजन को कम करती है और पाचन को सही रखती है।
5. बिल्वा: यह दस्त और पेचिश का प्रभावी ढंग से इलाज करता है।
पेट फ्लू के लिए कुछ घरेलू उपचार निम्नलिखित हैं:-
1. अदरक: यह पेट में संक्रमण और उल्टी, मतली और पेट में ऐंठन के साथ-साथ पानी वाले मल के इलाज में सहायक होता है। ऐसा, इसके एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण होता है।
2. सेब का सिरका: इसमें भरपूर मात्रा में पेक्टिन होता है इसलिए यह पेट में पीएच स्तर को बहाल करने में मदद करता है और सुखदायक प्रभाव प्रदान करता है। यह पेट दर्द, गैस और उल्टी को भी कम करता है। साथ ही यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है।
3. हींग: यह पेट के फ्लू के लिए बहुत प्रभावी उपाय है क्योंकि इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह पाचन तंत्र को शक्ति प्रदान करता है और पाचन में सुधार करता है।
आयुर्वेद में यह माना जाता है कि हर व्यक्ति को अलग-अलग हर्बल फॉर्मूलेशन की आवश्यकता होती है। इसलिए यह बेहतर है कि उपचार शुरू करने से पहले, समस्या का आकलन करने और सही मात्रा में डोज के साथ उचित उपचार निर्धारित करने के लिए, डॉक्टर से परामर्श किया जाना चाहिए।
यदि ऐसी समस्याएं बनी रहती है तो यह गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकती है, जो आपके जेब को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। इनसब से बचने के लिए आपके लिए स्वास्थ्य बीमा बहुत जरूरी है, जो किसी भी गंभीर बीमारीयों में आपको वित्तिय रूप से सहायता प्रदान करती हैं। ऐसे में आप केयर हेल्थ के क्रिटिकल इलनेस प्लान (Critical Illness Plan) को खरीद सकते हैं, जो कुल 30 से ज्यादा गंभीर बीमारियों को कवर करती है। ऐसे गंभीर समय में स्वास्थ्य बीमा आपके और आपके परिवार के लिए वरदान साबित हो सकता है। आज के दौर में, किसी भी बीमारी के वित्तिय नुकसान से बचने के लिए, हेल्थ इंश्योरेंस बहुत जरूरी पहलु है। आप अपने स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी किसी भी बीमारी के लिए बीमा करा सकते हैं।
>> जाने: ब्लड इन्फेक्शन क्या है? जानें, इसके लक्षण और इलाज
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल आपके सामान्य जानकारी के लिए है। पेट में इंफेक्शन के लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर से परामर्श करें। स्वास्थ्य बीमा प्लान के लाभ, सुविधाएँ और कवरेज भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। ऐसे में ज्यादा जानकारी के लिए कृपया ब्रोशर, सेल्स प्रोस्पेक्टस, नियम और शर्तों को सावधानी पूर्वक पढ़ें।
Published on 29 Nov 2023
Published on 29 Nov 2023
Published on 28 Nov 2023
Published on 28 Nov 2023
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