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HEALTH INSURANCE FOR HYPERTENSION
गर्भावस्था के समय कई प्रकार के शारीरिक बदलाव आते है जिसके कारण शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ जाती है| इस वजह से रक्त की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे रक्तचाप में परिवर्तन आ जाता है| यदि किसी महिला का रक्तचाप 140/90 या उससे ज़्यादा है तो इसे उच्च रक्तचाप माना जाता है| इस मामले में इस बीमारी को गंभीरता से लेना चाहिए| कई बार ऐसा होता है कि जब तक कोई व्यक्ति अपना ब्लड प्रेशर की जाँच नही करता है, तब तक उसे पता ही नही रहता की वह हाइपरटेंशन से ग्रस्त है| तकरीबन 8% युवतियाँ गर्भावस्था के समय हाइपरटेंशन का शिकार होती है| जिसके कारण महिलाओं का हाइ ब्लड प्रेशर के लिए हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदना अनिवार्य हो गया है|
>> Check: महिलाओं में बढ़ती उच्च रक्तचाप की समस्या
उच्च रक्तचाप माना जाता है| गर्भावस्था के समय रक्तचाप में होने वेल बदलाव, महिला में पाए रक्त की मात्रा पर निर्भर करता है| इस समय रक्त की मात्रा 45% अधिक हो जात है|
गर्भवती महिलाओं में रक्तचाप का घटना य बढ़ना कोई हैरानी वाली बात नही है| शुरुआत के दीनो में रक्तचाप गिरता है और फिर तीसरी तिमाही तक स्तर पर आ जाता है| परंतु अगर हाइ ब्लड प्रेशर नियमित रूप से अधिक रहने लगे तो इससे कई अन्य बीमारियाँ होने का ख़तरा हो सकता है| यह महिला के गर्भ में पल रहे शिशु के अलावा दिल, गुर्दे व अन्य अंगो के लिए भी हानिकारक हो सकता है| उच्च रक्तचाप से ग्रस्त महिलाओं में मधुमेह या गुर्दे की बीमारी होने का ख़तरा बढ़ जाता है|
यदि आप गर्भवती हैं, तो इस अवस्था में अपने रक्तचाप के स्तर की नियमित रूप से जाँच करायें| किसी भी प्रकार की असमानता हो तो डॉक्टर को दिखायें| हाइ ब्लड प्रेशर चार प्रकार के होते हैं:
प्रेग्नेन्सी के शुरुआती दिनो में ब्लड प्रेशर कम हो जाता है| यदि प्रेग्नेन्सी के शुरुआती 20 हफ़्तो में हाइ ब्लड प्रेशर की देखने को मिले, तो इसे पहले से मौजूद हाइपरटेंशन की समस्या मानी जाती है| इस समस्या को क्रोनिक हाइपरटेंशन कहते हैं| डॉक्टर इस दशा में मां को दवा देते हैं|
यह समस्या गर्भावस्था के 20वें सप्ताह में शुरू होती है और प्रसव के बाद स्वयं ही ठीक हो जाती है| इस तरह के हाइपरटेंशन की सबसे बड़ी समस्या है की इससे समय से पहले ही प्रसव हो जाता है|
यह समस्या तब विकसित होती है जब किसी गर्भवती महिला को पहले से ही हाइ ब्लड प्रेशर की शिकायत हो| यदि किसी महिला को पहले से ही गुर्दे और हृदय रोग की या क्रोनिक हाइपरटेंशन की समस्या हो, तो इस बीमारी का ख़तरा ज़्यादा होता है| देखा गया है की क्रोनिक हाइपरटेंशन से ग्रस्त तकरीबन 25% महिलाओ को प्रीक्लेम्पसिया हो सकता है|
जाँच के समय यदि असामान्य स्तर पर लिवर एन्ज़ाइम पाया जाए या फिर प्रोटीनूरिया बड़ा हुआ मिले तो इस बात का पुष्टीकरण हो जाता है कि महिला को यह समस्या है|
प्रेग्नेंसी के समय क्रोनिक हाइपरटेंशन की मौजूदगी के साथ प्रोटीनूरिया मिले तो इस बात का पुष्टीकरण हो जाता है की महिला को प्रीक्लेम्पसिया होता है| यह समस्या ज़्यादातर गर्भधारण के 20 सप्ताह पश्चात विकसित होती है| यह समस्या जेस्टेशनल हाइपरटेंशन से अलग होता है, क्योकि जेस्टेशनल हाइपरटेंशन में पेशाब में प्रोटीन नही पाया जाता है| यह समस्या शरीर के दूसरे अंगो के लिए जैसे लिवर, गुर्दे या मस्तिष्क के लिए हानिकारक होती है| अगर इस बीमारी को गंभीरता से नही लिया जाए तो यह महिला और बच्चे दोनो को नुकसान पहुचा सकती है|
प्रेग्नेंसी के समय हाइ ब्लड प्रेशर मां व उसके बच्चे दोनो के लिए हानिकारक हो सकता है| उच्च रक्तचाप के वजह से प्रेग्नेंसी की जटिलताओं में प्रीक्लेम्पसिया और औसत से छोटे बच्चे होने की शंका होती है| एक महिला जब गर्भधारण करती है तबसे प्रसव तक के अंतराल में देख-भाल की ज़रूरत होती है जिसके कारण महिलाओं का हाइ ब्लड प्रेशर के लिए हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदना अनिवार्य हो गया है|
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>> जानिए उच्च रक्तचाप से जुड़े यह 6 मिथक
डिस्क्लेमर: हाइपरटेंशन के दावों की पूर्ति पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अधीन है।
Published on 27 Jun 2022
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