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साइनस के लक्षण और इलाज क्या है? देखें, साइनस का परहेज

  • Published on 18 Aug, 2025

    Updated on 18 Aug, 2025

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साइनस नाक से जुड़ी एक समस्या है, जो भारत जैसे बदलते मौसम और उच्च प्रदूषण वाले देश में ज्यादा देखने को मिलता हैं। यह हमारी एकाग्रता से लेकर संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। साइनसाइटिस से दुनिया भर के करोड़ो लोग प्रभावित होते हैं, जिसका कारण संक्रमण, प्रदूषण, नाक की हड्डी टेढ़ी होना, बंद नाक, खांसी, इत्यादि है। ज्यादा लंबे समय तक साइनस से पीड़ित होना स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। गंभीर मामलों में नाक का ऑपरेशन भी करना पड़ता है। आइए जानते हैं, साइनस क्यों होता है, साइनस कितने प्रकार के होते हैं, साइनस का परहेज, नाक में इन्फेक्शन के लक्षण और उपाय, इत्यादि।

साइनस क्यों होता है?

साइनस बहुत ही सामान्य बीमारी है और दुनिया भर के करोड़ो लोग इस बीमारी से प्रभावित होते हैं। ज्यादातर लोगों में यह समस्या एलर्जी के रूप में देखने को मिलती है। इसमें धूल, मिट्टी, धुआं, इत्यादि सांस लेने के परेशानी की वजह बनती है। लेकिन यह समस्या सिर्फ एलर्जी तक सीमित नहीं है बल्कि इससे कहीं ज्यादा है। यह नाक से जुड़ी समस्या है जिसमें नाक की हड्डी के बढ़ने या टेढ़ा होने से हो सकता है। भारत में नाक से जुड़ी यह साइनस की समस्या काफी तेजी से बढ़ रही है और हर पांचवे-छठे व्यक्ति में यह देखने को मिल सकती है।

साइनस कैसे होता है?

हमारे खोपड़ी में बहुत सारे कैविटी या खोखले छेद होते हैं, जो नाक से जुड़ी होती है। यह कैविटी सांस लेने में मदद करते हैं और सिर को हल्का बनाते हैं। अगर यह खोखले छेद नहीं होते तो व्यक्ति अपनी आवाज भी नहीं सुन पाता। और इन्हीं खोखले छेद या कैविटी को साइनस कहा जाता है। जब इन्हीं खोखले छेद में कफ जमा हो जाता है तो सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जिसे साइनोसाइटिस या साइनस कहा जाता है।

यदि किसी वजह से नाक के छिद्र में बाधा उत्पन्न होती है या दिमाग के खोखले छिद्रों में बलगम जमा हो जाता है तो साइनस बंद हो सकता है। इसके कारण साइनस की झिल्ली में सूजन भी आ सकती है। इससे गला, उपरी जबड़ा, सिर और माथे में दर्द की समस्या हो सकती है।

साइनस कितने प्रकार के होते हैं? (Types of Sinusitis in Hindi)

साइनस कई तरह के हो सकते है, जिसमें सभी की अपनी अवधी और खासियत होती है। यहां मापदंडो के आधार पर साइनस के प्रकार दिए गए है:-

  • एक्यूट साइनसाइटिस (Acute Sinusitis): इस प्रकार के साइनसाइटिस आमतौर पर सर्दी और वायरल इंफेक्शन के कारण होती है। इसकी अवधि 4 सप्ताह से कम होती है।
  • सबएक्यूट साइनसाइटिस (Subacute Sinusitis): जब एक्यूट साइनसाइटिस का सही से इलाज नहीं हो पाता है तो यह सबएक्यूट साइनसाइटिस में विकसित हो जाता है। जिसकी अवधी 4 से 12 सप्ताह तक होती है।
  • क्रॉनिक साइनसाइटिस (Chronic Sinusitis): क्रॉनिक साइनसाइटिस की समस्या में लगातार सूजन हो सकती है। इसकी अवधी 12 सप्ताह से ज्यादा समय तक बनी रहती है। यह बैक्टीरियल, फंगल संक्रमण, नाक की संरचना, इत्यादि के कारण हो सकता है।
  • रिकरंट साइनसाइटिस (Recurrent Sinusitis): इस प्रकार के साइनसाइटिस नाक की बनावट में दिक्कत, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, बार-बार एलर्जी इत्यादि की वजह से होता है। यह साल में 4 से ज्यादा बार होता है और दिर्घकालिक प्रबंधन की आवश्यकता होती है।

साइनस के लक्षण क्या है? (Sinusitis Symptoms in Hindi)

साइनस के लक्षण और इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि साइनस कितना गंभीर है। साइनस के नुकसान आपके शरीर में दिखने लगते हैं। साइनसाइटिस में आपको कई प्रकार के लक्षण देखने को मिल सकते हैं, जो निम्नलिखित है:-

  • सिरदर्द
  • बेचैनी और बुखार होना
  • आवाज में परिवर्तन
  • आंखों के उपरी भाग में दर्द
  • सूंखने की क्षमता में कमी
  • दांतो में दर्द होना
  • खांसी
  • थकान
  • नाक में सूजन
  • आंख, नाक, गाल, माथे के आसपास दर्द होना
  • भरी हुई नाक के कारण सांस लेने में परेशानी
  • कान में दर्द
  • दांतों या जबड़ों में दर्द होना

साइनक के कारण क्या है?(Sinus Causes in Hindi)

साइनसाइटिस के कारण निम्नलिखित है:-

  • बैक्टीरियल इन्फेक्शन
  • वायरल संक्रमण
  • फंगल संक्रमण
  • एलर्जी
  • धुआं
  • धूल
  • नाक के हड्डी का टेढ़ा होना
  • प्रदूषण
  • अचानक मौसम में बदलाव
  • बार-बार सर्दी लगना

साइनस की जांच कैसे होती है? (Diagnosis of Sinusitis in Hindi)

साइनस की जांच करने के कई तरीके हैं:-

शारीरिक जांच में डॉक्टर

  • ऑटोस्कोप या टॉर्च के द्वारा नाक के अंदर देखता है।
  • नाक की बनावट, म्यूकस कलर और सूजन की जांच करता है।
  • दर्द की जांच के लिए डॉक्टर चेहरे पर दबाव डालता है।

इमेंजिंग टेस्ट

  • सीटी स्कैन
  • एक्स-रे
  • एमआरआई

नेजल एंडोस्कोपी

  • इसमें एक पतली ट्यूब जिसे एंडोस्कोप कहते हैं, उसे नाक के अंदर डाल कर साइनस को देखा जाता है।

कल्चर टेस्ट

  • कल्चर टेस्ट में यह पता लगाया जाता है कि आपको किसी तरह के बैक्टीरिया या फंगस से परेशानी है।

एलर्जी टेस्ट

  • यदि आपको साइनस बार-बार हो रहा है तो ब्लड टेस्ट या स्किन प्रिक जांच से एलर्जी का पता लगाया जाता है।

साइनस का घरेलू उपचार क्या है? (Sinus ka gharelu upay)

साइनस एक ऐसी समस्या है, जिसे लोग पहले घरेलू उपचार के द्वारा ही ठीक करना चाहते हैं। गंभीर मामलों में दवाईयों का सहारा लेते हैं। नाक में इन्फेक्शन के घरेलू उपचार या साइनस का इलाज निम्नलिखित है:-

स्टीम लेना (भाप लेना)

भाप लेने की प्रक्रिया के लिए एक बर्तन में गर्म पानी लें, जिससे भाप निकल रहा हो, उसमें अजवाइन, नीलगिरी तेले या पुदीना डालें। इसके बाद किसी कपड़ा या तौलिया से सिर ढककर लगभग 5-10 मिनट के करीब गहरी सांस लें। इस प्रक्रिया को दिन में 2 से 3 बार करें।

सलाइन नेजल स्प्रे

यह एक जीवाणुरहित नमक पानी का घोल है। इसका इस्तेमाल नाक के रास्ते को नमी और चिकनाई प्रदान करने के साथ साफ करने के लिए किया जाता है।

गुनगुने पानी का सेवन करें

ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें, जिसकी वजह से म्यूकस पतला हो सके। ठंडी चीजों का सेवन करने से बचें, जैसे- कोल ड्रिंक, आइसक्रीम, इत्यादि।

गर्म सेक करें

अपने चेहरे खासकर माथे और नाक पर गर्म पानी में कपड़ा भीगो कर रखें। इससे चेहरे पर होने वाला दर्द और प्रेशर कम होता है।

स्वयं को एलर्जी से बचाएं

साइनस से बचने के लिए आप धूल, पॉल्यूशन, धुंआ जैसी जगहो पर जाने से बचें।

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाएं

अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए हल्दी वाला दूध, लहसुन, अदरक, संतरा, नींबू, इत्यादि जैसी विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

साइनस का परहेज क्या है?

साइनस में क्या नहीं खाना चाहिए? स्वास्थ्य और खान-पान, दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू है। यानी यदि आपका आहार सही नहीं है या गलत चीजों का सेवन कर रहे हैं तो आपकी समस्या और ज्यादा गंभीर हो सकती है। ऐसे में यदि आपको साइनसाइटिस की समस्या है तो आपको इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। साइनस का परेहज निम्नलिखित है:-

  • मोनोसोडियम ग्लूटामेट - खाने में स्वाद जोड़ने के लिए इसका प्रयोग सलाद, मीट, सूप, इत्यादि में किया जाता है। इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • ओमेगा 6 फैटी एसिड - वैसे तो ओमेगा-6 फैटी एसीड स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन साइनस में यह आपको नुकसान पहुंचा सकता हैं। इसलिए सूरजमुखी तेल, कुसुम का तेल, मकई तेल, सोयाबीन ऑयल, अखरोट, इत्यादि का सेवन करने से बचें।
  • रेड मीट - साइनस वाले व्यक्ति को रेड मीट के सेवन से बचना चाहिए। इससे आपकी समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है।
  • फैटी फूड - वसा युक्त आहार का सेवन नहीं करना चाहिए, जैसे- बर्गर, पिज्जा, डेयरी प्रोडक्ट, मीट, इत्यादि। यह सूजन का कारण बन सकता है।
  • अल्कोहल और वाइन - साइनस की समस्या में शराब जैसी पेय पदार्थों के सेवन से बचें।
  • ग्लूटेन और केसीन - वैसे खाद्य-पदार्थ जिसमें ग्लूटेन और केसीन की ज्यादा मात्रा पाई जाती है, उसके सेवन से बचें। जैसे - राई, डेयर प्रेडक्ट, गेहूं, जौ, इत्यादि।
  • प्रोसेस्ड शुगर - रिफाइंड शुगर को ही प्रोसेस्ड शुगर कहा जाता है। इसके सेवन से बचें। जैसे- सोडा, फ्रूट जूस, पेस्ट्री, चॉक्लेट, इत्यादि।
  • रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट - साइनस की समस्या में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थ से बचें। जैसे- मिठाई, सफेद आटा, सफेद ब्रेड, पास्ता, इत्यादि।

सारांश

साइनस एक आम और गंभीर समस्या भी हो सकती है। यह नाक से जुड़ी समस्या है जिसके कारण आपको सांस लेने में परेशानी हो सकती है। इसलिए समय पर इलाज बहुत जरूरी है। सामान्य तौर पर आप साइनस के घरेलू उपचार के द्वारा भी ठीक कर सकते हैं और गंभीर मामलों में आपको डॉक्टर की सहायता लेने की जरुरत पड़ सकती है। साइनस की समस्या से बचने के लिए ट्रिगर कारकों को जानना ज़रूरी है।

साइनसाइटिस के गंभीर मामलों से मेनिन्जाइटिस जैसी बीमारियाँ भी हो सकती हैं। इस बात से यह पता चलता है की कैसे चिकित्सा इमरजेंसी अप्रत्याशि रुप से उत्पन्न हो सकती है। यदि समय पर बीमारी की अनदेखी की जाए तो एक मामूली स्वास्थ्य समस्या भी गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है। इसलिए वित्तीय सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल के लिए आपको हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश करना चाहिए, जो आपके चिकित्सा खर्चों को कवर करता है।। यह आपके संपूर्ण बीमारी के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है और कई सारी स्वास्थ्य सुविधाएं भी देथा है।

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी केवल संदर्भ उद्देश्यों के लिए है। सही चिकित्सीय सलाह के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें। स्वास्थ्य बीमा लाभ पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अधीन हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने पॉलिसी दस्तावेज़ पढ़ें।

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