सांस लेने में दिक्कत के लक्षण और कारण क्या है? जानें, इससे कैसे बचें

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सांस लेने में दिक्कत के लक्षण और कारण क्या है? जानें, इससे कैसे बचें

सांस लेने में परेशानी होना कोई आम बात नहीं है, यह एक कष्टदायक स्थिति है। जिसके कारण छाती में अकड़न, सांस चढ़ना, सांस फुलने जैसी समस्या हो सकती है। ऐसी हालत में आपके छाती में अकड़न होती है और सांस लेने में दर्द भी महसूस हो सकता है। कभी-कभार वायुमार्ग में रूकावट होने की वजह से भी सांस लेने में परेशानी हो सकती है, लेकिन यह नॉर्मल होता है। यदि यह रुकावट किसी और कारण से होता है तो आपको तत्काल डॉक्टर से परामपर्श करने की जरूरत है।

कई मामलों में, कुछ विशेष स्थितियों में  सांस लेने में समस्या हो सकती है, जैसे- ज्यादा काम करना, चढ़ाई करना, ज्यादा गर्म या ज्यादा ठंडे वातावरण में जाना, इत्यादि। इन सभी के अलावा यदि कोई और समस्या होती है तो यह किसी गंभीर बीमारी की ओर संकेत हो सकती है। आइए जानते हैं, अचानक सांस लेने में दिक्कत होना कितनी बड़ी बात है, सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करे, सोते समय सांस लेने में दिक्कत क्यों होती है, इत्यादि।

सांस लेने में दिक्कत के लक्षण क्या है?

यदि आपको सांस लेने में परेशानी हो रही है तो आपके निम्नलिखित लक्षण हो सकते है:-

  • चक्कर आना 
  • बेहोशी होना
  • गर्दन दर्द
  • छाती में चोट
  • भ्रम होना
  • सांस लेने में तेजी आवाज आना
  • साइनोसिस की समस्या
  • छाती में दर्द
  • थकान
  • डर जाना

सांस लेने में दिक्कत के कारण क्या है?

सांस लेने में दिक्कत कई अलग अलग कारणों से होते हैं। जैसे- हृदय रोग के कारण भी सांस लेने में परेशानी हो सकती है। सांस लेने में परेशानी होने के कारण निम्नलिखित है:-

  • सिस्टिक फाइब्रोसिस
  • एलर्जिक रिएक्शन
  • सांस द्वारा किसी चीज को निकल लेना
  • ज्यादा धुएं वाली जगह पर सांस लेना
  • किसी तरह की बैक्टीरियल इंफेक्शन
  • वोकल कॉर्ड से जुड़ी परेशानियां
  • मुंह या नाक के रास्ते में किसी छोटी वस्तु का अटक जाना
  • क्रोनिक ब्रोंकाइटिस
  • सीओपीडी

सांस लेने में दिक्कत से कैसे बचें?

सांस लेने में कई तरह के समस्याओं को रोका जा सकता है या कम कर सकते हैं। आप निम्नलिखित तरीकों से इसके जोखिम कारकों को कम कर सकते हैं:-

  • अपने खाने को पूरी तरह से चबा-चबाकर खाएं।
  • अपने बच्चों को छोटी वस्तुओं से बचा कर रखें ताकि बच्चे उसे निगल न जाएं।
  • अपने आहार को धीरे-धीरे खाएं।
  • छोटे बच्चों को खाना खिलाते समय उनका ध्यान रखें।
  • खाना से पहले ज्यादा ऐल्कोहॉल का सेवन न करें।
  • धूम्रपान करने से बचें, ऐसा करने से फेफड़ें या हृदय संबंधी रोग के जोखिम कम हो जाते हैं।
  • प्रदूषित वातावरण से बचें।
  • यदि आपको कोई अंदरूनी चिकित्सा समस्या महसूस होती है तो उसका इलाज कराएं।
  • ज्यादा ऊंचाई वाले जगहों पर मेहनत करने से बचने की कोशिश करें।
  • अपने वजन को ज्यादा बढ़ने न दें, यदि ज्यादा है तो उसे कम करने की कोशिश करें।

सांस लेने में दिक्कत का पता करने के लिए कौन-सा टेस्ट किया जाता है?

सांस लेने में तकलीफ के बारे में पता करने के लिए डॉक्टर कई तरह के शारीरिक टेस्ट करते हैं, यदि जरूरत हो तो वो आपका परिवारिक चिकित्सा इतिहास के बारे में पूछते हैं। सांस में तकलीफ के लिए जांच के दौरान निम्नलिखित टेस्ट किए जा सकते हैं:-

  • लेरिंगोस्कोपी - लेरिंगोस्कोपी एक ऐसा टेस्ट है जिसमें डॉक्टर एक छोटे औजार के द्वारा बच्चों में गले, वोकल कोड, कंठनली इत्यादि की जांच की जाती है।
  • ब्रोंकोस्कोपी -  इस जांच के लिए जिस उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है उसे ब्रोंकोस्कोपी कहा जाता है। इसमें बच्चों के फेफड़ों की जांच की जाती है।
  • पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट - इसे लंग फंक्शन टेस्ट नाम से भी जाना जाता है। इसमें दो तरह के टेस्ट होते हैं, स्पिरोमेट्री और मैथोकोलिन चैलेंज।
  • स्पिरोमेट्री - यह एक आसान श्वास टेस्ट होता है, जिसमें यह पता किया जाता है कि फेफड़ो से कितनी हवा किस तीव्रता निकलती है। यह जांच अवरूद्ध वायुमार्ग की स्थिति को पता करने के लिए किया जाता है।
  • मैथोकोलिन चैलेंज - इस तरह के टेस्ट का प्रयोग अस्थमा के टेस्ट के लिए किया जाता है। ऐसे में आपके डॉक्टर को टेस्ट के बारे में बेहतर जानकारी होती है और वो तय करते हैं कि आपको कौन सा टेस्ट कराना चाहिए।
  • एक्स-रे - कई मामलों में डॉक्टर छाती के भीतर की संरचना की जांच के लिए एक्स-रे की सलाह दे सकते हैं। इससे निमोनिया का पता लगाया जा सकता है। हालांकि, कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का पता नहीं भी चलता है।
  • सीटी स्कैन - सांस की दिक्कत वाले कुछ मामलों में छाती का सीटी स्कैन भी करना पड़ सकता है। इससे लंग में हो रहे किसी तरह के समस्याओं का पता लगाया जा सकता है।
  • साइनस सीटी स्कैन - यदि आप लंबे समय से साइनसाइटिस के शिकार है, तो डॉक्टर आपके लिए साइनस सीटी स्कैन की सलाह दे सकते हैं।
  • चेकअप - अक्सर आपने देखा होगा कि कुछ लोगों को रात में सोते समय बेचैनी महसूस होती है। लगता है अचानक से सांस रूक रही है या घुटन सी हो रही है। यदि आपके साथ भी ऐसा है तो डॉक्टर को दिखाएं, क्योंकि यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया हो सकता है, जो कि निंद की घातक बीमारी है।
  • बायोप्सी - सांस की समस्याओं के बारे में पता करने के लिए फेफड़ों की बायोप्सी भी की जा सकती  है।

सांस लेने में परेशानी का इलाज क्या है?

क्या आप जानते हैं, सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करे? सांस लेने में दिक्कत के अंदरूनी कारणों का पता लगाकर डॉक्टर आपको परेशानी से बचने का इलाज करते हैं। आपकी स्थिति के आधार पर निम्नलिखित इलाज किया जा सकता है:-

ऑक्सीजन थेरेपी - यह एक ऐसी थेरेपी है जिसमें शरीर को अतिरिक्त ऑक्सीजन प्रदान की जाती है। इससे आपको आराम से सांस लेने में सहायता मिलती है। यह डॉक्टर तभी निर्धारित करते हैं जब आपका ब्लड ऑक्सीजन लेवल कम होता है।

एक्सरसाइज - एक्सरसाइज और योग आपके संपूर्ण शरीर के फिटनेस में सुधार करते हैं, जिसके कारण आपके फेफड़े और हृदय का कार्य बेहतर होता है।

जीवनशैली में बदलाव - जीवनशैली में बदलाव शरीर के कई रोगों को दूर करने और कम करने के लिए बहुत जरूरी होता है। इसमें समय से खान-पान, सोना-जगना, योग-व्यायाम, इत्यादि नियमित रूप से किया जाना चाहिए। बाहर के खाने-पीने की चीजों से परहेज करना चाहिए, इत्यादि। मतलब एक हेल्दी रूटीन को अपनाना चाहिए। 

दवाएं - सांस लेने में दिक्कत को कम करने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। यह दवाएं मौखिक रूप से दी जा सकती है या इंट्रावेनस द्वारा दी जाती है, मतलब नसों में सुई के माध्यम से दी जाती है। कई बार दवाओं को नेबुलाइजर द्वारा तरल पदार्थ के भाप के रूप में भी लिया जाता है।

>> इसे भी पढ़ें - ऑक्सीजन लेवल कम होने के लक्षण क्या है? इसे कैसे चेक करें, जानें सबकुछ

सारांश

सांस लेने में दिक्कत या परेशानी को हल्के में न लें। इसके कारण छाती में अकड़न, सांस फुलने जैसी कई समस्याएं आपको हो सकती है। यदि यह समस्या आपको बढ़ते हुए महसूस होती है तो तत्काल डॉक्टर से परामर्श करने की जरूरत होती है। सांस लेने में दिक्कत के कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे- गर्दन दर्द, चक्कर आना, बेहोशी, थकान, डर, छाती में दर्द, साइनस की समस्या, इत्यादि। इसके मुख्य कारणों में एलर्जिक रिएक्शन, बैक्टीरियल संक्रमण, वोकल कोड की समस्याएं, सीओपीडी, इत्यादि है।

इसके लिए आप कुछ उपाय कर के सांस लेने की समस्याओें को कम कर सकते हैं या खत्म कर सकते हैं, इससे बचने के उपायों को उपर के भागों में बताया गया है। सांस लेने में परेशानी की जांच करने के लिए लेरिंगोस्कोपी, ब्रोंकोस्कोपी, स्पिरोमेट्री टेस्ट इत्यादि किया जा सकता है। सांस लेने की परेशानी के इलाज के लिए ऑक्सीजन थेरेपी, एक्सरसाइज, दवाएं, लाइफस्टाइल में बदलाव, इत्यादि है।

यदि आप सांस की समस्याओं को अनदेखा करते हैं, तो आप धीरे-धीरे गंभीर बीमारीयों से पीड़ित हो सकते हैं। बीमारी कभी बताकर नहीं आती है, तो ऐसे में आप पहले से स्वास्थ्य बीमा भी करा सकते हैं। जहां आपको गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिए वित्तिय सहायता प्रदान की जाती है। मतलब, गंभीर बीमारियों में आपके अस्पताल के खर्चों को बीमा कंपनी प्रदान करती है, और आपके जेब पर भारी बोझ नहीं पड़ता है। ऐसे में आप केयर हेल्थ इंश्योरेंस के क्रिटिकल इलनेस प्लान (Critical Illness Insurance) को खरीद सकते हैं, जहां आपको एक साथ कई गंभीर बीमारीयों के लिए इंश्योरेंस प्रदान की जाती है। साथ ही कई स्वास्थ्य सुविधाएं भी दी जाती है।

डिस्क्लेमर: श्वास संबंधी किसी भी परेशानी का पता चलने पर तत्काल डॉक्टर से परामर्श करें। स्वास्थ्य बीमा की सुविधाएँ, लाभ और कवरेज अलग-अलग हो सकते हैं। कृपया सेल्स प्रोस्पेक्टस, नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ें।

 




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