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Published on 23 Jun, 2025
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5 min Read
Written by Vipul Tiwary
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“सलोनी, जल्दी चलो, देर हो रही है। रुको, किचन स्लैब पर बर्तन क्यों फैला है? यह कुशन टेढ़ा किसने रखा है? दरवाजे पर धूल-मिट्टी कैसे जमी है? बिस्तर पर इतनी सिलवटें क्यों है? गंदे पैर अंदर क्यों आए? गैस चूल्हे पर तेल के छींटे कैसे?” इन सब कारणों से सलोनी हमेशा परेशान रहती थी और उनके पति धनंजय को ऐसा लगता था वह दूसरो को परेशान करती है। लकिन वास्तव में सलोनी परेशान नहीं कर रही थी बल्की खुद भी परेशान थी। धनंजय का अपनी जगह पर सोचना भी गलत नहीं था क्योंकि उनको इसके बारे में पता ही नहीं था। सलोनी साफ-सफाई और हाइजीन को लेकर एक अजीब तरह का व्यवहार करने लगी थी। धनंजय ने जब डॉक्टर से बात की, तब पता चला की ये सारे लक्षण ओसीडी के हैं। समय रहते यदि इसपर ध्यान न दिया जाए, तो पीड़िता व्यक्ति के साथ परिवार-दोस्त, सभी के लिए एंग्जायटी या तनाव का कारण बन सकता है। आइए जानते हैं, ओसीडी क्या है? ओसीडी के लक्षण क्या है, इसे कैसे ठीक करें, इत्यादि।
ओसीडी का पूरा नाम “ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर” है, जिसे मनोग्रसित बाध्यता विकार कहते हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि यह एक गंभीर मानसिक बीमारी है। नेशनल हेल्थ पोर्टल ऑफ इंडिया के मुताबिक, प्रति 100 लोगों में से पूरे जीवनकाल में 2-3 लोगों को ओसीडी होती है। यह बीमारी पुरुषों और महिलाओं किसी को भी हो सकती है।
इसे एक तरह से डाउट डिसऑर्डर भी कहते हैं, जिसमें ओसीडी से ग्रसित व्यक्ति अपनी सोच, विचार, आदतें, यादें, भविष्य आदि हर बात पर डाउट करने को मजबूर हो जाता है। यह एक गंभीर मानसिक विकार है जिसमें व्यक्ति हमेंश चीजों को साफ रखने और ऑर्गेनाइज करने में लगा रहता है। यह हर व्यक्ति में अलग-अलग लक्षणों के साथ देखने को मिल सकता है।
ऐसे मामलों में, ओसीडी के मरीज लोगों के मेंटल हेल्थ के प्रति नकारात्मक सोच और समाजिक स्टिग्मा के कारण खुल कर बात नहीं करना चाहते हैं या अपने इन स्थितियों के बारे में किसी को बताने से बचते हैं।
ओसीडी बीमारी के लक्षण सभी व्यक्तियों में अलग-अलग होते हैं, इसके निम्नलिखित लक्षण हैं:-
पीड़िता के दिमाग में बार-बार ऐसे विचार आते हैं, जहां उनकी इच्छाएं उनके दिमाग में घर करती हैं और परेशानी का कारण बनती है। यह जनून आमतौर पर तब आते हैं जब आप किसी दूसरी चीजों के बारे में सोचने या करने के बारे में आगे बढ़ते हैं। ऑब्सेसिव विचार के लक्षण निम्नलिखित है:-
कंपल्सिव बिहेवियर पहली समस्या यानी ऑब्सेसिव विचारों के सामाधान के लिए सामने आती है। पीड़िता के दिमाग में बार-बार आने वाले ख्यालों से निपटने के लिए वह ऐसा व्यवहार करने लगता/लगती है, उसके अपने वश में नहीं होता है। कंपल्सिव बिहेवियर के लक्षण निम्नलिखित है:-
ओसीडी क्यों होता है? ओसीडी के सटीक कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। इसके होने के सामान्य कारक निम्नलिखित हो सकते हैं:-
ओसीडी का उपचार अभी तक उपलब्ध नहीं है। लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित करके व्यक्ति की मदद की जा सकती है ताकि उनके लक्षण दैनिक जीवन में बाधा उत्पन्न न करें। ओसीडी का उपचार निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:-
उपर बताए गए उपचार महंगे भी हो सकते हैं और आपकी जेब पर भारी पड़ सकते हैं। लेकिन स्वास्थ्य बीमा होने पर आप इलाज के खर्चों की टेंशन से बच सकते हैं। बस आपको ध्यान रखना होगा की आपकी स्वास्थ्य बीमा कंपनी आपके इस बीमारी को कवर करती है या नहीं। केयर हेल्थ इंश्योरेंस में यह कवर किया जाता है।
किसी भी तरह की मानसिक बीमारी जिसके लिए आपको 24 घंटे या उससे ज्यादा समय तक अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है, केयर हेल्थ के स्वास्थ्य बीमा प्लान में इसे कवर किया जाता है। काउंसिलिंग के खर्चे मेंटल हेल्थ लाभ के अंतर्गत कवर किए जाते हैं। यहां आपको प्रति पॉलिसी वर्ष 4 साइकोलॉजिस्ट कंसल्टेशन के लिए कवरज प्रदान की जाती है। बीमारियों में वित्तीय सुरक्षा पाने के लिए स्वास्थ्य बीमा में निवेश एक समझदारी पूर्ण विचार है।
एक्सपर्ट का कहना है कि ओसीडी की लड़ाई सिर्फ OCD से पीड़ित व्यक्ति की ही नहीं है, बल्कि यह उसके पूरे परिवार की भी होती है और यह सबके मिला-जुला प्रयास से ही इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी केवल संदर्भ उद्देश्यों के लिए है। सही चिकित्सीय सलाह के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें। स्वास्थ्य बीमा लाभ पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अधीन हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने पॉलिसी दस्तावेज़ पढ़ें।
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