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गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव के कारण और घरेलू इलाज

  • Published on 24 Jul, 2024

    Updated on 16 Sep, 2025

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गर्भावस्था में रक्तस्राव का होना सामान्य है या नहीं, इस बात को लेकर लोगों में बहुत चिंता बनी रहती है। पीरियड्स और प्रेग्नेंसी दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यदि पीरियड्स नहीं आता है या मिस होता है तो गर्भवती होने की संभावना हो सकती है और यदि गर्भावस्था में ब्लीडिंग हो जाए तो नकारात्मक विचार आने लगते हैं। यह मां और बच्चे दोनों के लिए चिंताजनक स्थिति है। ऐसी स्थिति में आपको तत्काल अपने डॉक्टर से परामर्श करने की जरूरत होती है। प्रेग्नेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर में ब्लीडिंग आम समस्या है लेकिन सेकेंड और थर्ड ट्राइमेस्टर में ब्लीडिंग होना बड़ी बात है, यह गंभीर समस्या हो सकती है और गर्भावस्था के लिए घातक भी हो सकता है। ऐसे मामलो में डॉक्टर से तत्काल प्रभाव से परामर्श करें।

गर्भावस्थ में ब्लीडिंग के लक्षण क्या है?

खून की कमी या रक्तस्राव के लक्षण निम्नलिखित है:-

  • चक्कर आना
  • ज्यादा थकान होना
  • अधिक प्यास लगना
  • बेहोशी की समस्या
  • अचानक खड़े होने पर हार्ट बीट का बढ़ना

गर्भावस्था में रक्तस्राव के कारण क्या है?

गर्भावस्था में रक्तस्राव होना चिंताजनक स्थिति है। ब्लीडिंग निम्नलिखित कारणों से हो सकती है:-

  • यदि गर्भवती महिला के योनी में संक्रमण है तो गर्भावस्था के दौरान ब्लीडिंग हो सकती है।
  • संक्रमण के कारण महिला को गर्भपात (miscarriage) भी हो सकता है और रक्तस्राव की समस्या हो सकती है। 
  • गर्भावस्था में सेक्स करने से भी रक्तस्राव की समस्या हो सकती है इसलिए गर्भवती महिला को सेक्स करने से बचना चाहिए और डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। 
  • प्लेसेंटा या गर्भनाल के टूटने से भी रक्तस्राव की समस्या हो सकती है। यह स्थिति थर्ड ट्राइमेस्टर में बन सकती है। यह स्थिति 200 में 1 महिला के साथ हो सकती है।
  • यदि गर्भवती महिलाओं में रक्तस्राव की समस्या छठे महिने के बाद होती है तो तत्काल प्रभाव से डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ऐसी स्थिती में पहले डिलीवरी होने के चांसेस बढ़ जाते हैं। 
  • गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड से गर्भावस्था के स्थान का पता चलता है। यदि एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (ectopic pregnancy) है तो बिना देरी किए डॉक्टर से इलाज कराना चाहिए। 
  • मोलर गर्भावस्था के कारण भी गर्भावस्था में रक्तस्राव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ऐसी गर्भावस्था में गर्भ में बच्चे की जगह एक असामान्य टिश्यू होता है जो एक प्रकार का ट्यूमर होता है। 

ब्लीडिंग रोकने के घरेलू इलाज क्या है? 

यदि आपको प्रेग्नेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर में ब्लीडिंग हो रही है और आप डॉक्टर के पास जाने में असमर्थ है तो निम्नलिखित घरेलू इलाज किया जा सकता है:- 

  • ज्यादा से ज्यादा आराम करें।
  • वजन उठाने से बचें।
  • ताकत लगाने वाला काम न करें।
  • सेक्स से परहेज करें। 
  • टैम्पॉन का प्रयोग करें। 
  • ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। 

गर्भावस्था के आखिरी दिनों में ब्लीडिंग का घर पर कोई इलाज नहीं है। डॉक्टर से तत्काल परामर्श करें।

प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने पर कौन सा टेस्ट होता हैं?

गर्भावस्था में ब्लीडिंग होने पर गर्भवती महिला के बेहतर स्वास्थ्य के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट के लिए बोल सकते हैं, जिसे आपको देरी किए बिना जल्द से जल्द करा लेनी चाहिए। जैसे- यूरिन टेस्ट, संपूर्ण ब्लड काउंट, Rh टेस्ट, सीरम टेस्ट, इत्यादि।  

  • यूरिन टेस्ट - प्रग्नेंसी में ब्लीडिंग के लिए यूरिन टेस्ट इसलिए होता है ताकि यूरिनरी ट्रैक्ट में इंफेक्शन का पता चल सके या अन्य किसी तरह के इंफेक्शन का पता चलता है। इंफेक्शन से मिस्कैरेज भी हो सकती है।
  • ब्लड टेस्ट - गर्भावस्था में रक्तस्राव के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है। इससे रक्त के प्रकार का पता चलता है और कुछ कमी होने पर इलाज किया जाता है।
  • बीएचसीज - गर्भावस्था में उत्तकों की मात्रा को मापने के लिए इस टेस्ट को किया जाता है। सामान्य और एक्टोपिक गर्भावस्था दोनों ही मामलों में बीएचसीज स्तर होता है। इसमें मात्रा में अंतर को माप कर भी समान्य और असामान्य गर्भावस्था के बारे में जान सकते हैं। 
  • अल्ट्रासाउंड - गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंडके माध्यम से स्क्रीन पर भ्रूण की छवी को देखा जाता है कि वह सही स्थिति में है या नहीं। इससे भ्रूण की स्थिति, आयु, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी, प्लेसेंटा, इत्यादि के बारे में पता लगाया जाता है। 

सारांश -

गर्भावस्था में रक्तस्राव का होना बहुत चिंता का विषय है। गर्भावस्था में इस स्थिति को होते ही महिलाएं चिंतित हो जाती है लेकिन प्रेग्नेंसी के फर्स्ट ट्राइमेस्टर में यह सामान्य है। गर्भावस्था के दूसरे और तीसरे तीमाही में ब्लीडिंग होना असामान्य है, ऐसा होते ही डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। 

गर्भावस्थ में ब्लीडिंग के लक्षण में ज्यादा थकान होना, बेहोशी, चक्कर आना, अधिक प्यास लगना इत्यादि है। इसके मुख्य कारण योनी में संक्रमण, सेक्स, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी, मोलर गर्भावस्था इत्यादि है। इससे राहत पाने के लिए जितना संभव हो आराम करें, भारी वजन न उठाएं, ज्यादा मेहनत वाले काम से बचें। ऐसी समस्याओं के निदान के लिए डॉक्टर यूरिन टेस्ट, ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंट, इत्यादि का सुझाव दे सकते हैं।

एक बात और जो हम इतना सब होने के बावजुद भूल जाते हैं और खर्चों का बोझ उठाए रहते हैं वो है हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance)। केयर का जॉय मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस प्लान (Maternity Health Insurance Plan) मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत फायदेमंद है। यह प्रेग्नेंट महिला के लिए प्री और पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन प्रदान करने के साथ और भी कई सारी सुविधाएं प्रदान करता है। यदि आप भी इस प्लान के बारे में सोच रहे हैं तो जितना जल्दी लेंगे, वेटिंग पीरियड उतना ही कम होगा और आप इसका लाभ उठा सकेंगे।

>> जाने: प्रेगनेंसी में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए

डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी केवल संदर्भ उद्देश्यों के लिए है। सही चिकित्सीय सलाह के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें। स्वास्थ्य बीमा लाभ पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अधीन हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने पॉलिसी दस्तावेज़ पढ़ें।

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