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Published on 6 Feb, 2025
Updated on 17 May, 2025
9938 Views
3 min Read
Written by Vipul Tiwary
Reviewed by Vipul Tiwary
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शिशु को पेट से जुड़ी कई तरह की परेशानियां हो सकती है। कभी भी जब बच्चा रोता है तो वह किसी न किसी तकलीफ में होता है, जैसे पेट दर्द, भूख लगना, कोलिक पेन, गैस की समस्या, इत्यादि। ऐसे में दूध पीलाकर आप भूख की समस्या को तो मिटा सकते हैं लेकिन पेट दर्द से जुड़ी समस्या को दूर करना मुश्किल हो जाता है। इसके लिए बच्चे को ग्राइप वाटर पिलाना एक अच्छा विकल्प है। आइए जानते हैं, ग्राइप वाटर क्या है, ग्राइप वाटर कितना देना चाहिए, इत्यादि।
नवजात शिशुओं में पाचन से जुड़ी परेशानियां होती रहती है। ऐसे में छोटे बच्चे अपनी समस्याओं को रो कर ही बता पाते हैं। नवजात या छोटे बच्चों का रोना आम बात है, लेकिन कभी कभी वो ज्यादा ही रोने लगते है और घर परिवार वाले परेशान हो जाते हैं। ज्यादा रोने की स्थिति तब होती है जब बच्चे का दांत आना शुरु होता है या कोलिक पेन होता है, इत्यादि। ऐसे में ग्राइप वाटर आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। इन सब चीजों से बच्चे को आराम दिलाने के लिए ग्राइप वाटर पीलाना बहुत जरूरी होता है।
ग्राइप वाटर शिशु के पेट दर्द, कोलिक पेन, गैस की समस्या, पेट फुलना, अपच, हिचकी इत्यदि से राहत पाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मार्केट में कई अलग अलग तरह के ग्राइप वाटर की किस्में उपलब्ध हैं, जो कि विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों से तैयार की जाती है। आप डॉक्टर या विशेषज्ञों की सलाह से इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
शिशुओं को ग्राइप वाटर पिलाने के कई फायदे होते हैं। इसके फायदे निम्नलिखित है:-
ग्राइप वाटर देने वाली कंपनियों का मानना है कि इसे 15 दिनों से ज्यादा आयु वाले बच्चे को दिया जा सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसे एक महिने से कम दिनों के बच्चे को नहीं दिया जाना चाहिए। इसके पीछे कारण यह है कि इतनी जल्दी शिशु के पाचन तंत्र का सही से विकास नहीं हो पाता है। कुछ लोग तो छह महिने तक इसे देना उचित नहीं मानते हैं।
ग्राइप वाटर कितना देना चाहिए? इसका जवाब यह है कि ग्राइप वाटर की डोज उम्र के आधार पर अलग अलग हो सकती है। इसलिए शिशु या बच्चे को ग्राइप वाटर देने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें और हां बच्चे की उम्र बताना न भूलें। साथ ही पेरेंट्स को खुद भी ग्राइप वाटर की बोतल पर दिए गए सभी निर्देशों को बारीकी से देखना चाहिए। इसमें बच्चे को ग्राइप वाटर कितना देना चाहिए, इसके बारे में विस्तार से बताया जाता है। यदि हम बात करें कि ग्राइप वाटर कब पिलाना चाहिए, तो शिशु को खाली पेट ग्राइप वाटर देने की सलाह नहीं दी जाती है। बच्चे के खाने या दूध पीने के करीब 10 मिनट बाद आप ग्राइप वाटर दे सकते हैं।
वैसे तो शिशुओं के लिए ग्राइप वाटर सुरक्षित होता है, लेकिन इससे होने वाले एलर्जी के संभावित लक्षणों की निगरानी की जानी चाहिए। इससे होने वाले एलर्जी के लक्षण या संकेत अलग अलग हो सकते हैं। कई बार शिशु को ग्राइप वाटर में मौजूद उत्पाद की वजह से भी एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं। इसके निम्नलिखित लक्षण है:-
किसी भी तरह के एलर्जी के लक्षण या संकेत दिखाई देने पर तत्काल डॉक्टर से परामर्श करें।
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नवजात शिशु में पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए ग्राइप वाटर का इस्तेमाल किया जाता है। यह शिशुओं में पाचन से जुड़ी समस्याएं, कोलिक पेन, दांत निकलते समय परेशानी, गैस की समस्या, पेट फूलना, इत्यादि जैसी परेशानियों से आराम दिलाता है। बच्चों को ग्राइप वाटर देने से पहले डॉक्टर से आवश्य परामर्श करें। किसी भी तरह की एलर्जी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तत्काल संपर्क करें।
इन सब के अलावा आप विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारियों के लिए सुरक्षा कवच यानी स्वास्थ्य बीमा भी प्राप्त कर सकते हैं। आप केयर हेल्थ के फैमिल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान (Family Health Insurance Plan) को खरीद सकते हैं, जहां आपको एक ही पॉलिसी में परिवार के सभी सदस्यों के लिए स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) प्रदान किया जाता है। इसमें आपको प्री और प्रोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन के साथ डे-केयर ट्रीटमेंट, एंबुलेंस कवर जैसी कई स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाती है।
डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी केवल संदर्भ उद्देश्यों के लिए है। सही चिकित्सीय सलाह के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें। स्वास्थ्य बीमा लाभ पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अधीन हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने पॉलिसी दस्तावेज़ पढ़ें।
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