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Published on 15 Feb, 2023
Updated on 15 Aug, 2025
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6 min Read
Written by Vipul Tiwary
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कोलेस्ट्रॉल को हार्ट का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। पिछले कुछ सालों में हार्ट के मामले काफी तेजी से बढ़ें हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, हृदय रोग दुनियाभर में मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है। आपको बतादें कि हाई कोलेस्ट्रॉल आपके हृदय की ज्यादातर बीमारीयों का मुख्य कारण बनता है। आइए जानते हैं कि आखिर हाई कोलेस्ट्रॉल होता क्या है? कोलेस्ट्रॉल ज्यादा या कम होने के लक्षण क्या होते हैं? कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और उपाय क्या है, कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए? इत्यादि।
कोलेस्ट्रॉल, लीवर द्वारा निर्मित वसा जैसा पदार्थ होता है, जो पाचन, विटामिन डी,कोशिका झिल्ली और कुछ हार्मोन के गठन के लिए जरूरी होता है। कोलेस्ट्रॉल घुलनशील नहीं होता , इसलिए यह स्वयं दूसरे अंगो तक नहीं पहुंच सकता है। इसके लिए लिपोप्रोटीन्स नामक कण की जरूरत होती है जो कोलेस्ट्रॉल को ब्लड के माध्यम से दूसरे अंगो तक पहुंचाने में मदद करता है। लिपोप्रोटीन दो तरह के होते हैं:-
लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन को खराब कोलेस्ट्रोल भी कहा जाता है। यह धमनियों में जमा हो सकता है और इससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है, जैसे- स्ट्रोक, हार्ट अटैक इत्यादि।
हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन को अच्छा कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल को लिवर में वापस लौटाने में मदद करता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल हटाया जा सके। आगे जानेंगे, HDL कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए और LDL कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए।
वैसे तो उच्च कोलेस्ट्रॉल लक्षण नहीं होते है, बल्कि यह अन्य दूसरी बीमारियों के लिए जोखिम कारक होता है। फिर भी शरीरिक स्थिति में कुछ बदलाव कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की ओर संकेत कर सकते हैं। आइए जानते हैं कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और उपाय क्या है:-
लगातार आपके वजन में वृद्धी हाई कोलेस्ट्रॉल का लक्षण होता है। यानी जब आपके शरीर का वजन सामान्य हो और अचानक से मोटापा बढ़ जाता है तो, हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा ज्यादा होता है। कोलोस्ट्रोल बढ़ने पर सबसे पहले डॉक्टर आपको वेट लॉस करने और खान-पान को लेकर सावधानियां बरतने को कहते हैं।
बिना किसी वजह के पैरों में दर्द का बने रहना हाई कॉलेस्ट्रॉल का लक्षण होता है। इसको हल्के में नहीं लेना चाहिए और लंबे समय तक रहने पर डॉक्टर से तत्काल परामर्श करना चाहिए।
पसीना आना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन यदि आवश्यक्ता से ज्यादा किसी को पसीना आता हो तो यह बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल का लक्षण हो सकता है।
यदि आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल हाई है तो आपके त्वचा के रंगों में बदलाव हो सकता है। ऐसे में हाथ-पैर के रंग पीले दिखाई दे सकते हैं। ऐसे समय में आपको अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच करा सकते हैं।
सीने में दर्द भी हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण हो सकते हैं। यदि आपके सीने में दर्द लगातार बनी रहती है तो आप कोलेस्ट्रॉल की जांच करा लेनी चाहिए। यह समस्या गंभीर भी हो सकती है। कई बार यह दर्द हार्ट अटैक के लक्षण भी हो सकते हैं।
कई बार आपके पैरों, जांघों, कूल्हों और पंजों पर ऐंठन महसूस हो सकती है, यह भी हाई कोलेस्ट्रॉले के लक्षण होते हैं। इसलिए यदि आपके शरीर के किसी भी हिस्से में लगातार दर्द हो रहा है या फिर मांसपेशियों में अकड़न महसूस हो तो आपको जांच कराना चाहिए।
आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना जितना खतरनाक होता है, उतना ही कोलेस्ट्रॉल का नॉर्मल से कम होना भी नुकसानदायक हो सकता है। शरीर को सुचारू रूप से काम करने के लिए एडीएल कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है, लेकिन कोलेस्ट्रॉल का आवश्यकता से कम होना भी शरीर के लिए खराब होता है। वैसे तो कोलेस्ट्रॉल का कम होना शरीर के लिए अच्छा होता है लेकिन जब यह अपने सामान्य लेवल से कम होता है तो शरीर में खून का संचार सही से नहीं हो पाता है, जिससे कई गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती है। इससे सूजन, कुपोषण और संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती है।
यहा आप कोलेस्ट्रॉले कम होने के लक्षण देख सकते हैं:-
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण निम्नलिखित है:-
एक स्वस्थ शरीर के लिए कोलेस्ट्रॉल का लेवल संतुलित होना आवश्यक है, क्योंकि कोलेस्ट्रॉल लेवल ज्यादा होने के साथ सामान्य से कम कोलेस्ट्रॉल भी नुकसानदायक होता है। आइए जानते हैं, हेल्दी शरीर के लिए कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए।
हाई कोलेस्ट्रॉल सभी लोगों के लिए नुकसानदायक होता है। यह कई गंभीर बीमारियों को निमंत्रण दे सकता है, आइए जानते हैं कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें और कोलेस्ट्रॉल कम करने के घरेलू इलाजों के बारे में:-
यदि आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ रही है, तो आप इसे कम करने के लिए लहसुन का सेवन कर सकते हैं। नियमित रूप से सुबह-शाम लहसुन का सेवन आपके कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है। लहसुन में कोलेस्ट्रोल को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं।
नींबू जो कि वजन कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में बहुत प्रभावी होता है। यदि आप भी कोलेस्ट्रॉल को कम करना चाहते हैं तो रोजाना सुबह में खाली पेट नींबू पानी का सेवन कर सकते हैं। इससे बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल लेवल तेजी से कम होता है।
कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए मेथी को भी उपयोगी माना जाता है। इसमें मौजूद गुण आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करते हैं। साथ ही यह आपके वेट लॉस में भी फायदेमंद है। इसके लिए आप नियमित रूप से मेथी के पानी का सेवन कर सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने के लिए आप मछली के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं। इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड आपके शरीर के कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम कर सकता है। यदि आप भी कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करना चाहते हैं तो इसके लिए आप मछली के तेल का सेवन कर सकते हैं।
जौ, ओट और दानेदार अनाज जिसमें घुलनशील फाइबर मौजूद होता है, उसके सेवन से शरीर में मौजूद कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इसलिए अपने आहार में कम से कम 20 ग्राम घुलनशील फाइबर की मात्रा को जरूर शामिल करें।
भोजन बनाते समय हल्दी और करी पत्ते का जरूर प्रयोग करें। इसमें कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं।
>>यह भी पढ़ें: हेल्थ इन्शुरन्स प्लान फॉर फैमिली
कोलेस्ट्रॉल, लीवर द्वारा निर्मित वसा जैसा पदार्थ होता है, जो पाचन, विटामिन डी,कोशिका झिल्ली इत्यादि के लिए बहुत जरूरी होता है। लेकिन आवश्यक्ता से अधिक कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। आप लहसुन, मेथी, नींबू इत्यादि कुछ घरेलू इलाज के द्वारा बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल को कम कर सकते हैं।
इसके अलावा यदि आपको पहले से हृदय संबंधी समस्या है या आप आने वाली समस्याओं के लिए तैयार रहना चाहते हैं तो ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस (health insurance policies)आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि ये इंश्योरेंस पॉलिसी आपके इलाज के खर्चों को कवर करती है और आप वित्तिय रूप से कमजोर नहीं पड़ते हैं। ऐसे परेशानियों से बचने के लिए केयर हेल्थ इंश्योरेंस के हार्ट हेल्थ इंश्योरेंस को आप देख सकते हैं। जो की कई कवरेज के साथ वार्षिक हार्ट हेल्थ चेकअप की सुविधा भी प्रदान करता है। आप फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस प्लान भी आजमा सकते हैं, जहां आपको एक ही पॉलिसी में परिवार के सभी सदस्यों के लिए बीमा प्राप्त हो जाता है।
डिस्क्लेमर: कोलेस्ट्रॉल से जुड़े मामलों में किसी भी तरह का इलाज करने से पहले अपने डॉक्टर से आवश्य परामर्श करें। हृदय रोग के दावों की पूर्ति पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अधीन है।
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