डायबिटीज़ और स्ट्रोक दो सबसे आम स्वास्थ्य समस्याएं हैं जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती हैं। हृदय और रक्त वाहिकाओं पर हाई शुगर लेवल के प्रभाव के कारण डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों को स्ट्रोक होने का जोखिम अधिक होता है। यह गाइड इन स्थितियों को कुशलतापूर्वक मैनेज करने में लक्षणों, कारणों, डायग्नोसिस और इलाज सहित डायबिटीज़ और स्ट्रोक के बीच व्यापक कनेक्शन की जानकारी देती है।
डायबिटीज़ क्या है?
डायबिटीज़ एक ऐसी मेडिकल स्थिति है जिसमें शरीर इंसुलिन का उत्पादन या उपयोग सही तरीके से नहीं कर पाता है। इंसुलिन एक हॉर्मोन है जो नियमित ब्लड शुगर लेवल के लिए जिम्मेदार है। अगर इसका लंबी अवधि तक इलाज न किया जाए, तो इससे स्ट्रोक जैसी गंभीर जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। डायबिटीज़ लोगों में अलग-अलग होती है और इसके दो प्राथमिक प्रकारों में उन्हें प्रभावित कर सकती है, जो हैं:
- टाइप 1 डायबिटीज़ एक ऑटोइम्यून स्थिति है जिसमें शरीर अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने के लिए जिम्मेदार कोशिकाओं पर हमला करना शुरू करता है। इसके कारण, या तो इंसुलिन का उत्पादन पूरी तरह से बंद हो जाता है या बहुत कम हो जाता है।
- टाइप 2 डायबिटीज़ एक प्रचलित प्रकार की डायबिटीज़ है जो शरीर में इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध पैदा हो जाने से होती है। इस कारण से खून में ग्लूकोज़ के लेवल्स बढ़ जाते हैं।
ये दो प्रकार के डायबिटीज़ हाई ब्लड ग्लूकोज लेवल में योगदान देने के लिए जिम्मेदार हैं, जिससे ब्लड वेसल में खराबी आती है और स्ट्रोक की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
स्ट्रोक क्या है?
स्ट्रोक एक ऐसी मेडिकल स्थिति है जिसमें रक्त वाहिकाओं में ब्रेकेज या किसी रुकावट के कारण मस्तिष्क के किसी भाग में रक्त प्रवाह में बाधा आ जाती है। इस बाधा से मस्तिष्क कोशिकाओं में विघटन होता है, जिससे स्थायी विकलांगता या मृत्यु हो सकती है। इस स्थिति में, मरीज आमतौर पर दो तरह से प्रभावित होते हैं, जो हैं:
- इस्केमिक स्ट्रोक रक्त वाहिका में बने थक्के या ब्लॉकेज के कारण होता है, जो मस्तिष्क तक रक्त प्रवाह को सीमित करता है।
- हैमरेजिक स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त वाहिका फट जाने से होता है, जिसके कारण ब्लीडिंग होती है।
ये प्रकार स्ट्रोक के गंभीर रूप होते हैं और अगर तुरंत इलाज न किया जाए तो मस्तिष्क में स्थायी खराबी आ सकती है।
डायबिटीज़ और स्ट्रोक के बीच लिंक
डायबिटीज़, रक्त वाहिकाओं और अन्य शारीरिक कार्यों पर इसके प्रभाव के कारण स्ट्रोक का जोखिम बढ़ाता है। यह तब होता है जब ब्लड शुगर के स्तर बढ़ जाते हैं; ये बढ़े हुए स्तर रक्त वाहिकाओं में खराबी पैदा करते हैं जिससे उनके ब्रेकेज या उनमें रुकावट आने की संभावना बढ़ जाती है। डायबिटीज़ और स्ट्रोक के बीच संबंध दिखाने वाले कुछ कारक यहां दिए गए हैं:
- रक्त वाहिकाओं में खराबी: हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण रक्त वाहिकाएं कठोर और संकुचित हो जाती हैं, जिससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है।
- थक्कों के खतरे को बढ़ाता है: डायबिटीज़ के कारण शरीर के क्लॉटिंग फैक्टर्स में बदलाव आ सकता है, जिससे थक्के जमने और रक्त वाहिकाओं में रुकावट आने की संभावनाएं बढ़ जाती है, जो आगे चलकर स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
- हाई ब्लड प्रेशर: डायबिटीज़ से पीड़ित व्यक्तियों को आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम होता है, जिससे रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर तनाव आरोपित होता है, जो स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
- हृदय रोग: डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों को हृदय की विभिन्न समस्याओं की संभावना अधिक होती है, इस प्रकार स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।
डायबिटीज़ और स्ट्रोक के लक्षण
शुरुआती डायग्नोसिस करने और स्थिति का समाधान करने के लिए डायबिटीज़ और स्ट्रोक के लक्षणों को समझना महत्वपूर्ण है। इन दोनों समस्याओं के लक्षण यहां बताए गए हैं।
मधुमेह के लक्षण
ये वे लक्षण हैं जिनके कारण डायबिटिक अटैक हो सकता है:
- धुंधली दृष्टि या साफ देख पाने में समस्या
- बार-बार संक्रमण होना या घावों का धीरे भरना
- हाथ या पैरों में सुन्नपन या झुनझुनी महसूस होना
- बार-बार पेशाब करना और प्यास बढ़ना
- बहुत ज़्यादा थकान होना
- बिना किसी कारण के वज़न घटना
स्ट्रोक के लक्षण
स्ट्रोक के लक्षण आमतौर पर अचानक आते हैं और निम्न हो सकते हैं:
- अचानक तेज़ सिरदर्द, अज्ञात कारण से
- देखने में समस्याएं, जैसे नजर धुंधलाना, दोहरी दृष्टि
- चक्कर आने या संतुलन और समन्वय खोने के कारण चलने में कठिनाई
- शरीर के एक तरफ सुन्नपन या कमजोरी
- बोलने या समझने में कठिनाई
डायबिटीज़ और स्ट्रोक के कारण
कुछ योगदान देने वाले कारकों से डायबिटीज़ और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ सकता है। इसलिए, समय पर मेडिकल सहायता प्राप्त करने के लिए कारणों को ध्यान में रखना चाहिए।
डायबिटीज़ के कारण
यहां कुछ कारण दिए गए हैं जिनसे डायबिटीज़ और हार्ट अटैक हो सकता है:
- आनुवंशिक: जिन लोगों में डायबिटीज़ का आनुवांशिक इतिहास है उनमें इस बीमारी के होने की संभावना अधिक होती है।
- मोटापा: मोटापे वाले लोग, मुख्य रूप से पेट में वसा वाले लोगों में अक्सर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध पाया जाता है, इसलिए टाइप 2 डायबिटीज़ होने की संभावना बढ़ जाती है।
- खराब आहार संबंधी आदतें: शुगर, फैट और प्रोसेस्ड फैट का बहुत अधिक सेवन करने वाले लोगों में मोटापा और इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसी स्थितियों का विकास हो सकता है, जो डायबिटीज़ और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाते हैं।
- आरामदायक जीवनशैली अपनाना: जो लोग शारीरिक गतिविधि बहुत कम करते हैं उनमें टाइप 2 डायबिटीज बनने की संभावना अधिक होती है।
स्ट्रोक के कारण
स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार कारक यहां दिए गए हैं:
- एथेरोस्क्लेरोसिस: धमनियों में प्लाक जमा होने से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है, जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
- हाई ब्लड प्रेशर: यह हाइपरटेंशन के कारण होता है, जो मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं पर दबाव डालता है तथा इनके संकरे होने या फटने की संभावना को बढ़ाता है।
- हृदय रोग: हृदय संबंधी समस्याएं, मुख्य रूप से अनियमित हृदय गति, रक्त के थक्के पैदा करती हैं जो मस्तिष्क में जा सकते हैं, और उससे स्ट्रोक का जोखिम पैदा हो सकता है।
- धूम्रपान: यह थक्के बनने की संभावना को बढ़ाता है क्योंकि धूम्रपान से निकलने वाला धुंआ रक्त वाहिकाओं में खराबी लाता है।
- बहुत ज़्यादा शराब पीना: नियमित रूप से शराब पीने वाले लोगों में हाई ब्लड प्रेशर और थक्के बनने की संभावना अधिक होती है, जिससे डायबिटीज़ और स्ट्रोक हो जाता है।
डायबिटीज़ वाले लोगों में स्ट्रोक के लिए जोखिम कारक
विभिन्न जोखिम कारक डायबिटीज़ और स्ट्रोक की संभावना को बढ़ाते हैं। आमतौर पर, डायबिटीज़ वाले व्यक्तियों में स्ट्रोक की यह चिंता बहुत अधिक होती है। इन जोखिमों का ध्यान रखने से समस्या के ज़्यादा बिगड़ने से पहले विशिष्ट सावधानीपूर्वक उपाय करने में मदद मिलती है। तो, ये जोखिम कारक इस प्रकार हैं:
- मोटापा: मोटापे से पीड़ित लोगों को हाइपरटेंशन और अन्य कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों जैसी बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम अधिक होता है, जिससे डायबिटीज और स्ट्रोक का जोखिम होता है।
- अनियंत्रित ब्लड शुगर: हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण रक्त वाहिकाएं संकुचित और मोटी होती हैं, जिससे स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।
- हाई कोलेस्ट्रॉल: डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों की लिपिड प्रोफाइल अक्सर खराब होती है, जिसमें खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना और अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होना शामिल है। यह कारक भी स्ट्रोक की संभावना बढ़ाता है।
- आरामदायक जीवनशैली: शारीरिक गतिविधियों की कमी से डायबिटीज़ और स्ट्रोक सहित अन्य कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है।
- धूम्रपान: यह रक्त वाहिका की क्षति को बढ़ाता है और थक्के के जोखिम को बढ़ाता है, इसलिए डायबिटीज़ और स्ट्रोक का कारण बनता है।
- फैमिली हिस्ट्री: हृदय रोग, डायबिटीज़ या स्ट्रोक के आनुवांशिक इतिहास वाले लोगों में इन स्थितियों के पनपने की संभावना अधिक होती है।
डायबिटीज़ और स्ट्रोक का डायग्नोसिस
डायबिटीज़ का डायग्नोसिस
हेल्थकेयर एक्सपर्ट विभिन्न ब्लड टेस्ट के माध्यम से डायबिटीज़ का पता लगाते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज टेस्ट ब्लड शुगर के स्तर का सही मूल्यांकन करने में मदद करता है। मरीज को इस टेस्ट से कम से कम आठ घंटे पहले खाना बंद कर देना चाहिए।
- ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (OGTT) में चीनी का घोल पीना और अगले कुछ घंटों में ब्लड टेस्ट कराना शामिल है। अगर ब्लड शुगर 200mg/dL से अधिक है, तो यह डायबिटीज़ को दर्शाता है।
- हीमोग्लोबिन A1c टेस्ट ब्लड शुगर के स्तर का आकलन करता है और पिछले 2-3 महीनों में शरीर में डायबिटीज़ के प्रतिशत का पता लगाता है।
स्ट्रोक का डायग्नोसिस
स्ट्रोक का पता चलने पर तुरंत क्लीनिकल अटेंशन की ज़रूरत पड़ती है। यहां डायग्नोसिस के तरीके दिए गए हैं, जिसमें हेल्थ एक्सपर्ट्स की भूमिका होती है:
- CT स्कैन (कंप्यूटेड टोमोग्राफी) एक प्रक्रिया है जो स्ट्रोक को दर्शाते हुए ब्लीडिंग या रुकावटों की पहचान करने के लिए मस्तिष्क की व्यापक तस्वीरें प्रदान करती है।
- MRI (मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग) मस्तिष्क की खराबी का पता लगाने और स्ट्रोक की लोकेशन का पता लगाने के लिए हाई-रिज़ोल्यूशन फोटो देती है।
- ब्लड टेस्ट ग्लूकोज के स्तर, संभावित अंतर्निहित कारणों और क्लॉटिंग फैक्टर्स का आकलन करने में मदद करते हैं।
- कैरोटिड अल्ट्रासाउंड रुकावटों का पता लगाने के लिए कैरोटिड धमनियों में ब्लड फ्लो को मापता है।
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) स्ट्रोक के जोखिम में योगदान देने वाली अनियमित हार्ट रिदम की पहचान करता है।
डायबिटीज़ और स्ट्रोक के लिए इलाज
डायबिटीज़ और स्ट्रोक का इलाज स्थिति के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है।
डायबिटीज़ का इलाज
डायबिटीज़ के प्रबंधन में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करना और इसके प्रभावों को रोकना शामिल है। आमतौर पर डॉक्टर निम्नलिखित कुछ इलाजों की सलाह देते हैं:
- दवाएं: हेल्थ प्रोफेशनल डायबिटीज़ को मैनेज करने के लिए स्थिति के प्रकार के आधार पर कुछ मुंह से ली जाने वाली दवाओं की सलाह देते हैं। उदाहरण के लिए, डॉक्टर टाइप 1 डायबिटीज़ को मैनेज करने के लिए इंसुलिन देते हैं और टाइप 2 डायबिटीज़ के लिए मुंह से ली जाने वाली दवाओं की सलाह देते हैं।
- जीवनशैली में बदलाव: डॉक्टर डायबिटीज़ की जटिलताओं को प्रबंधित करने के लिए कुछ जीवनशैली से संबंधित बदलावों की सलाह देते हैं, जैसे स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और डायबिटीज़ के इलाज के लिए वज़न प्रबंधन।
- ब्लड शुगर मॉनिटरिंग: डायबिटीज़ को मैनेज करने के लिए, मरीजों को नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर लेवल की निगरानी करनी चाहिए।
स्ट्रोक के लिए इलाज
हेल्थकेयर एक्सपर्ट प्रकार के आधार पर स्ट्रोक के इलाज की सलाह देते हैं। इलाज के कुछ विकल्प यहां बताए गए हैं:
- इस्केमिक स्ट्रोक: डॉक्टर अक्सर खून के थक्के को तोड़ने के लिए थ्रोम्बोलिटिक (क्लॉट-बस्टिंग) दवाओं की सलाह देते हैं। गंभीर मामलों में थक्के को हटाने के लिए सर्जन थ्रॉम्बेक्टॉमी प्रक्रिया कर सकता है।
- हैमरेजिक स्ट्रोक: इस प्रकार के स्ट्रोक में खराब रक्त वाहिकाओं की मरम्मत करने और मस्तिष्क में जमे खून को हटाने के लिए सर्जरी करनी पड़ती है।
- पुनर्वास: इसमें खोई हुई क्षमताओं को प्राप्त करने में मरीजों की मदद करने के लिए फिज़िकल, स्पीच और ऑक्यूपेशनल थेरेपी शामिल है।
डायबिटीज़ और स्ट्रोक को रोकने के सुझाव
डायबिटीज़ और स्ट्रोक की रोकथाम में आमतौर पर जीवनशैली में बदलाव और स्वस्थ आदत पैटर्न शामिल होते हैं। सशक्त कदम उठाने से इन स्थितियों से जुड़े डायबिटीज़ और हार्ट अटैक के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपको डायबिटीज़ और स्ट्रोक दोनों को कुशलतापूर्वक रोकने में मदद कर सकते हैं:
- वज़न को स्वस्थ स्तरों पर बनाए रखने से ब्लड शुगर के लेवल्स कंट्रोल में रखने तथा हार्ट पर प्रेशर कम करने में मदद मिलती है।
- अपने दिनचर्या में कम से कम 30 मिनट के लिए नियमित व्यायाम शामिल करें।
- स्वस्थ और संतुलित आहार खाने पर ध्यान दें, जिसमें ताजा सब्जियां, फल, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन शामिल हैं।
- डायबिटीज़ और स्ट्रोक को रोकने के लिए नियमित रूप से अपने ब्लड प्रेशर की जांच करें।
- शुरुआत में किसी भी शिफ्ट का पता लगाने और उनका समाधान करने के लिए अपने ब्लड शुगर लेवल की निगरानी करें।
- शराब का सेवन न करें क्योंकि यह ब्लड प्रेशर तथा वज़न दोनों के बढ़ने का कारण बनता है।
- अगर आप नियमित रूप से धूम्रपान करते हैं तो इसे जल्द से जल्द छोड़ दें, क्योंकि यह एक प्राथमिक कारक है जो रक्त वाहिकाओं को कमजोर करके और ब्लड प्रेशर को बढ़ाकर स्ट्रोक और डायबिटीज़ के जोखिम को बढ़ाता है।
- तनाव स्ट्रोक विकसित करने और ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ाने में भी योगदान दे सकता है, इसलिए योग, ध्यान और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें।
स्वास्थ्य बीमा डायबिटीज़ और स्ट्रोक मैनेजमेंट में कैसे मदद करता है?
डायबिटीज़ और स्ट्रोक दोनों को मैनेज करने की जटिलता और खर्च को देखते हुए, व्यापक स्वास्थ्य बीमा होना जरूरी है। डायबिटीज़ के लिए स्वास्थ्य बीमा दवाओं, डॉक्टर कंसल्टेशन, टेस्ट आदि की उच्च लागत को कवर करने के लिए जरूरी है. यहां जानें कि स्वास्थ्य बीमा कैसे मदद कर सकता है:
- डायबिटीज़ और स्ट्रोक के प्रबंधन में नियमित क्लीनिकल विज़िट, डॉक्टर विज़िट, टेस्ट आदि शामिल हैं।
- स्वास्थ्य बीमा इंसुलिन, ब्लड प्रेशर की दवाओं या कोलेस्ट्रॉल की दवाओं जैसे दवाओं के खर्चों को कवर कर सकता है।
- स्वास्थ्य बीमा किसी व्यक्ति को स्ट्रोक जैसी इमरजेंसी में तुरंत इलाज और हॉस्पिटलाइज़ेशन की सुविधा देता है।
- डायबिटीज़ और स्ट्रोक के इलाज के बाद, रोगी को व्यापक पुनर्वास की आवश्यकता हो सकती है और ऐसे मामले में स्वास्थ्य बीमा बहुत मददगार हो सकता है।
केयर हेल्थ इंश्योरेंस डायबिटीज़ और स्ट्रोक जैसी क्रॉनिक स्थितियों के लिए विशेष प्लान प्रदान करता है, जिससे आपको बड़े वित्तीय तनाव के बिना आवश्यक इलाज, दवाएं और प्रिवेंटिव सर्विसेज़ प्राप्त करने की गारंटी मिलती है।